सुनो, आज १२ दिन हुए तुम्हे गए. कल तेरह्वी है। मैंने इन १२ दिनों में १ बात नोटिस की. कहूँ तुमसे? सब लोग न, टोकते बहुत हैं. ये वहां नहीं रखते, ये रस्म ऐसे होती है. तुम कभी ऐसा नहीं किया करती थीं. मेरी बात चाहे गलत हो या सही, तुम "अच्छा" ही कहती थीं.
पता है, मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं, कि तुम मेरी हाँ में हाँ मिला रही हो. मुझे हमेशा लगा, मैं सही हूँ. हर बात में. कभी शक भी नहीं हुआ, कि मैं गलत हो सकता हूँ. एक पूरा जीवन निकल गया देखो, और मैं अँधा ही रहा.
पता है, मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं, कि तुम मेरी हाँ में हाँ मिला रही हो. मुझे हमेशा लगा, मैं सही हूँ. हर बात में. कभी शक भी नहीं हुआ, कि मैं गलत हो सकता हूँ. एक पूरा जीवन निकल गया देखो, और मैं अँधा ही रहा.
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