मैं तुम्हे प्रेम करना चाहता हूँ
हर चोट
जो बचपन से खायी है तुमने
हर फोटो
तुम्हारे बचपन की
वो हर बार जब तुम
"कोई बात नहीं"
कह कर
अंदर के कमरे में चली गयी थीं....
हर बात
मेरे अंतर्मन की
हर दर्द
जो मॉर्फिन की सुई से
सोया है
हर डर जो केवल मेरा है.
कितना कठिन रास्ता है देखो
अभी तो पहला पग न धरा है
पर मुझे यकीं है
ये सब मरहले
सारे पर्वत
और कंदरायें
नगण्य हो जाएंगे
जब हम
ठान लेंगे
कि हमको
प्रेम करना है.
तुम्हारा मैं नहीं जानता
पर
मैं तुम्हे प्रेम करना चाहता हूँ.
हर चोट
जो बचपन से खायी है तुमने
हर फोटो
तुम्हारे बचपन की
वो हर बार जब तुम
"कोई बात नहीं"
कह कर
अंदर के कमरे में चली गयी थीं....
हर बात
मेरे अंतर्मन की
हर दर्द
जो मॉर्फिन की सुई से
सोया है
हर डर जो केवल मेरा है.
कितना कठिन रास्ता है देखो
अभी तो पहला पग न धरा है
पर मुझे यकीं है
ये सब मरहले
सारे पर्वत
और कंदरायें
नगण्य हो जाएंगे
जब हम
ठान लेंगे
कि हमको
प्रेम करना है.
तुम्हारा मैं नहीं जानता
पर
मैं तुम्हे प्रेम करना चाहता हूँ.
2 comments:
यह जवाब कैसे हुआ - यह तो पिछली कविता का शेष ही है...
जवाब तब होता जब लिखा होता - "मैं भी तुम्हें प्रेम करना चाहती हूँ" या फ़िर "मैं तुम्हारी टांगें तोड़ना चाहती हूँ"....
Think about it !!
Hi HT: Reference to context hai. This is part of a conversation in a poetry group. Only the pieces are shared here. Ye jawaab hai, par uska nahi, jise propose kiya gaya hai. :)
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