Tuesday, August 25, 2015

Poetry/ शायरी

शायरी
जैसे मलीहाबाद  के आमों का रस..... 
तुप्का तुपका
ज़बां पर टपके

बूँद बूँद
मीठी हुई जाए है 
वीरानगी
 

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