चाँद सितारों से क्या पूछो , कब दिन मेरे फिरते हैं
वो तो बेचारे खुद हैं भिखारी डेरे डेरे फिरते हैं
जिन गलियों में हम ने सुख की सेज पे रातें काटी थी
उन गलियों में व्याकुल होकर साँझ सवेरे फिरते हैं
जिन के शाम बदन साये में मेरा मन सुस्ताया था
अब तक आँखों के आगे, वो बादल घनेरे फिरते हैं
कोई हमें भी ये समझा दो, उन पर दिल क्यों रीझ गया
तीखी चितवन बाँकी छब वाले बहुतेरे फिरते हैं
इस नगरी में बाग़ और बान की यारो लीला न्यारी है
पंछी अपने सर पे उठाकर अपने बसेरे फिरते हैं
लोग तो दामन सी लेते हैं , जैसे भी हो जी लेते हैं
आबिद हम दीवाने हैं जो बाल बिखेरे फिरते हैं.
वो तो बेचारे खुद हैं भिखारी डेरे डेरे फिरते हैं
जिन गलियों में हम ने सुख की सेज पे रातें काटी थी
उन गलियों में व्याकुल होकर साँझ सवेरे फिरते हैं
जिन के शाम बदन साये में मेरा मन सुस्ताया था
अब तक आँखों के आगे, वो बादल घनेरे फिरते हैं
कोई हमें भी ये समझा दो, उन पर दिल क्यों रीझ गया
तीखी चितवन बाँकी छब वाले बहुतेरे फिरते हैं
इस नगरी में बाग़ और बान की यारो लीला न्यारी है
पंछी अपने सर पे उठाकर अपने बसेरे फिरते हैं
लोग तो दामन सी लेते हैं , जैसे भी हो जी लेते हैं
आबिद हम दीवाने हैं जो बाल बिखेरे फिरते हैं.
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