Wednesday, February 25, 2015

Benaam sa ye dard ... Nida Fazli

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत गया हैं वो गुजर क्यों नहीं जाता

सबकुछ हैं क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें
क्या बात हैं मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर हैं वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यों नहीं जाता

वो नाम जो बरसों से, ना चेहरा ना बदन हैं
वो ख्वाब अगर हैं तो बिखर क्यों नहीं जाता

No comments: