तुम और हम
जब मिले थे
तब जैसे इन्द्रधनुष
पर इन्द्रधनुष
होता है
प्रकृति से ही
मायावी
और अब
ज्ञात हुआ
तुम्हारे प्रेम का निर्मल झरना
केवल मेरी
मृगतृष्णा
मेरे निस्वार्थ प्रेम की बारिश
केवल मायावी इन्द्रधनुष
अब सोच रहा हूँ
ये सम्मोहन
पहले तुम तोड़ो ,
के मैं तोडू
जब मिले थे
तब जैसे इन्द्रधनुष
पर इन्द्रधनुष
होता है
प्रकृति से ही
मायावी
और अब
ज्ञात हुआ
तुम्हारे प्रेम का निर्मल झरना
केवल मेरी
मृगतृष्णा
मेरे निस्वार्थ प्रेम की बारिश
केवल मायावी इन्द्रधनुष
अब सोच रहा हूँ
ये सम्मोहन
पहले तुम तोड़ो ,
के मैं तोडू
4 comments:
This is good, but certainly not your best. Read it from a distance perhaps.
I like the imagery all the same. Waiting for more...just as ever.
Hi HT: :-) yeah, i need to read sad books for stuff like this to come up.
Hii... such beautiful words
Kaash wo subah neend se jaage toh mujhse ladne aaye...
Ke tum kaun hote ho mere khwab mein aane waale...
hi GB: :-) what a lovely couplet!! ye itne din se dimaag mein ghoom raha tha.. aaj samajh aaya..
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