Saturday, July 26, 2025

Katranein

तुम्हारी कविता पढ़ कर, सुबह-सुबह कुनकुना सा हो गया कमरा! 

झूठी! मैं खुद आ कर देखूं, तो मानूं । 

आ जाओ, जान!  

आज पहली बार... 'जान' कहा है तुमने मुझे। 

मैंने बोलने में देर लगाई, तुमने बनने में कोई देर नहीं की! 

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कितना अधिकार मानूं तुम पर? 

देखते ही गले लगा लिया करो, इतना! 

वादा रहा! हर बार! गले लगाना मेरा दूसरा सबसे favorite काम है। 

और पहला? 

गले लगाते ही कंधे को हौले से चूम लेना। 

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तुम न भी कहो, तो भी, साड़ी में तो मैं अच्छी लगती हूँ। 

अरे बवाल लगती हो! 

अच्छा? तो फिर आज से जब भी साड़ी पहनूंगी, तुम्हें मुझ से मिलने आना होगा। उसके बिना श्रृंगार पूरा नहीं होगा. Blush तो तुम ही कराओगे! 

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