Wednesday, October 30, 2024

दिवाली पर मुकरी

साँझ ढले पर वा सज जावे 

देखत ही मन हर्षावे  

अंतर्मन कर दे उजियारा 

एक उसी से सब तम हारा 


स्वर्ण सी आभा, जैसे राजन 

मन को सादो, जैसे कीप।     

का सखी, साजन? 

ना सखी, दीप! 



2 comments:

Anita said...

सुंदर मुकरी, शुभ दीपावली

How do we know said...

बहुत आभार! आशा है आपकी दिवाली भी अच्छी रही