This is a random personal blog - covering everything from poetry to politics. Views presented are strictly my own.
कभी शर्म से सुर्खरू, कभी गुस्से में लाल पीली - तुम्हारे कितने रंग हैं?
जितने रंग धनक के, उतने मेरे!
मतलब, सात?
न! हर वो रंग, जो तुम्हारी आँख देख सकती है।
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