Tuesday, July 28, 2020

आलसराम - Hindi poem for children


एक थे भैया आलसराम
करते थे बहुत विश्राम
दूध, मलाई और जलेबी
उनकी थी सब सखी सहेली
कसरत से वे कतराते थे
तनिक भी नहीं कर पाते थे
हाथी जैसे झूल के चलते
पीड़ा बताते नहीं थे थकते

बहुत हो गया आलसराम
उठो करो अब कुछ व्यायाम
खाओ, पियो, मौज मनाओ,
पर इस तन को जरा हिलाओ
मीठा छोड़ो, दाल भी खाओ
पानी पियो, कदम बढ़ाओ!

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