Monday, August 04, 2025

Book Review: Gulabi Dhoop by Rakesh Gulati (Gul Rakesh)

राकेश जी की कविता की विशेषता यह है कि वह एक कहानी भी होती है। कविता को कोई जल्दी नहीं होती। वह धीरे धीरे समां बांधती है। आपको अपने साथ एक यात्रा पर ले चलती है, और अंत में, धीरे से, अपनी बात कह देती है। 

इन कविताओं में रुमानियत हैं, जीवन के अंश हैं, कुछ चोटों के निशाँ, और कुछ हल्की, सौंधी मुस्कानें। 


मेरी सबसे पसंदीदा कविता "छोटी थी मैं" है। 'सुरमचू', 'बेटियां और छुट्टियां',  और 'तलाक' भी बहुत ही प्यारी कविताऐं हैं.  

कुछ कविताओं के अंश: 

मुझे बाँट दो खुले हाथों से 

बंद मुट्ठी से फिसल जाती हूँ 

ज़िन्दगी हूँ, रेत के माफिक 

खुश्क रहूँ तो बिखर जाती हूँ 


जा, किसी की आरज़ू बन जा 

कभी तो पूरा करेगा खुदा तुझे 


पुस्तक में ३-४ जगह पर कवि की अपनी तसवीरें हैं. मुझे 'सुरमचू' और 'दोबारा' - इन कविताओं के साथ की तस्वीरें बहुत अच्छी लगीं। 

१५७ पन्नों की इस पुस्तक में ६६ कविताएं हैं. 



No comments: