I was today years old when I first:
A. Did gidda in a sari
B. Celebrated Lohri by quickly putting a phulkari dupatta on top of a Mysuru crepe silk sari
This is a random personal blog - covering everything from poetry to politics. Views presented are strictly my own.
I was today years old when I first:
A. Did gidda in a sari
B. Celebrated Lohri by quickly putting a phulkari dupatta on top of a Mysuru crepe silk sari
तुम्हें "न" कहने का अधिकार है।
मुझे
नहीं है।
You have the right to say "No"
And I
Don't.
कहते हैं कि डूबते को तिनके का सहारा होता है। पर उस तिनके की कहानी तिनका बनने से शुरू नहीं होती। शुरू में वह तना होता है - प्रमुख सहारा। ठीक तने की तरह तन कर खड़ा हुआ।
फिर उसके पास कुछ वक़्त की कमी होना शुरू हो जाती है, कुछ हम से गलतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं - डाल में नामक तेज़, कपड़े ठीक से इस्तरी नहीं, घर आए दोस्त के साथ थोड़ा सा हंसी मज़ाक, उनके हमारी किसी सहेली के साथ फ्लर्ट करने पर हमारा चिढ़ जाना - इन सब बातों से तने का मन हम से उतारने लगता है। इस में तने का कोई दोष नहीं। इस तरह, उदासीनता के मारे, तना टहनी बन जाता है, फिर टहनी से सीख, और इसी तरह घटते प्रेम के साथ साथ, तना भी घाट कर तिनका बन जाता है।
तब फिर, डूबता इस तिनके का सहारा क्यूँ ले?
क्यूंकि वह जो तना है न, जो तने से टहनी, टहनी से सींख बना है, वह हमें किसी और का सहारा लेने नहीं देगा। खुद १० मधुशाला लिख आए, हमें झट से याद दिला देगा कि हाला प्रेम में हराम है।
फिर हमें सिखाया जाता है कि डूबते को तिनके का सहारा। पर किस डूबते को तिनका बचाने आया है? ये पाठ हमें पढ़ाया ही इसलिए जाता है कि जब हम डूब कर मर जाएँ तो कोई ये गिला न कर सके कि तिनके ने बचाया क्यूँ नहीं? न बचाने का सामर्थ्य है न अभिलाषा। जब तुम्हें ये जताया जाने लगे कि तने से तिनका होने का सफर तुम्हारे कारण है, तो यह भी समझ जाना कि तिनका किसी को नहीं बचाता। तिनके को कोई फर्क नहीं पड़ता। तिनके को पता भी नहीं चलता।
In the last 3 days, I happened to watch 3 films
That अंग्रेजी का वह शब्द है जो किसी भी common noun के आगे लग कर उसे proper noun जैसा ही बना देता है। कोई और मूर्ति नहीं, वह वाली - That one.
सादे शब्दों में कहें तो आम को खास बनाने की ताकत है That।
ये दिसंबर भी कुछ ऐसा ही था। ये That December था। खास वाला।
जैसे जंग की भर्ती शुरू होने के बाद, हर जवान लड़के को गाँव का तालाब, मैदान के जंगली फूल, यहाँ तक कि घर की छिपकलियाँ भी खास लगने लगती हैं, वैसे ही, इस दिसंबर में आस पास की हर आम सी चीज़ को ऐसे देखा जा रहा था, जैसे वह कितनी ही खास हो ! पता नहीं, इन में से कौन सी चीज़ अगले दिसंबर तक साथ होगी। शायद सारी की सारी रह जाएँ, शायद एक भी न बचे।
जो अंत बता कर नहीं आता, उस से हमेशा यह शिकायत रहती है कि कुछ तय्यारी ना कर पाए। कुछ भी कह-सुन ना पाए। अलविदा भी न कह पाए।
पर जो अंत बता कर आता है, क्या सच में, वह बेहतर होता है? किसी तिल तिल सी पीड़ा में जलना, या एक झटके में सब खो देना। क्या सच में, 'अलविदा' कह पाना ... इतना बड़ा सुख है?
*****
"That" places itself before a common noun and makes it almost a proper noun. Not any statue. THAT one.
THAT has the power to make the commonplace, special.
This December was also like that. It will probably be remembered, forever, as "That December."
Just like a young boy, once he has been enlisted, starts to notice the village pond, the wildflowers in the meadow, even the stains on the walls... This December, I saw everything like that boy.. will this still be here next year? Who knows? Perhaps all of it will remain, just like this. Perhaps nothing will.
The end that comes without warning is forever rued and regretted - "Oh! We could never say Goodbye!"
But the end that comes, like a slow, agonising death? What about it? The moments of waiting.. not knowing.. when, how, or how much.... Is the time to say 'Goodbye' really worth the Chinese torture of waiting for the end?
उस ने
नाम से पुकारा,
मेरा हाल पूछा
और मैं
नंबर से इंसां हो गया।
To paraphrase Gulzar:
बस इतनी सी जान होती है एक मुलाकात की,
एक लम्हे के जितनी।
हाँ
कुछ लम्हे बरसों ज़िंदा रहते हैं।
It is so easy to make someone feel human.
Look them in the eye
Call them by name
Ask how they are
and then wait for an answer.
Be with them, all there
for just a moment, or two.
That is all it takes
to make a number
feel like a human being.
Note: The idea is the same, but its presentation in English and Hindi is completely different. This is not a translation.
Narcissitic लोगों का प्रेम सरस्वती नदी जैसा लगता है। हमें लगता है कि इस सब के नीचे कहीं छुपा हुआ जरूर है, पर हमें कभी दिखाई नहीं देता। मन के विश्वास के अलावा कहीं नहीं होता। कभी उस में न नहा पाते हैं, न उस से कोई प्यास बुझा पाते हैं।
हमें किसी दूर की satellite से दिखाई पड़ता है - किसी और से कहा हुआ, सबके सामने किया कोई मीठा काम, पर हमारे जीवन में कभी नहीं होता।
ये प्रेम मृग तृष्णा सा होता है, पर सरस्वती सा लगता है।
The love of a narcissist feels like the River Saraswati. We feel that underneath all this, it most certainly exists.. somewhere. Its just that we can't see it from day to day (for many days, until the days turn to months and months turn to years). It exists primarily in our unshaken belief. We can neither bathe in it, nor quench the thirst of the heart with it.
We can see it in some distant satellite images - like them proclaiming to some friends or family members how much they love us and how they cannot live without us, or them doing some affectionate gesture in the presence of 100 ppl so they all think how lucky we are. But its never a part of our real life.
It is a mirage, but it feels like the River Saraswati.
#Narcissism