पितरों के मोक्ष के अभिप्राय से
भगीरथ ने की थी
कठिन साधना
गंगा के अवतरण के लिए
गंगा ने समझा
भगीरथ को उस से आसक्ति है
पितरों के मोक्ष के बाद
भगीरथ ने गंगा को प्रणाम किया
और विदा ली।
मेरी स्मृतियों के अवशेष
तुम उसी गंगा में विसर्जित करना
जिसे भगीरथ ने
बिसार दिया था।
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अपने पित्तरां नू तारण जोग,
भागीरथ ने तप कित्ता
गंगा लई:
गंगा निमाणी सोचे
भगीरथ नू खौरे
मेरा मोह
पित्रां दे तरण तो बाद
भगीरथ ने गंगा नु
कित्ता परणाम
ते विदा हो गया
न सेवा
न शरीका
मेरे फुल वी काका जा के
ऑसे गंगा विच तारीं
जिणु विसर गया सी
आप भगीरथ
सुंदर सृजन
ReplyDeleteAnita ji: Thank you!
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